Aaratis to Shri Vishuddhananda Ji

Here are some Aaratis dedicated to Paramhansa Sri Vishuddhanand Gandhbabaji.

 

ॐ नमो भगवते श्री विशुद्धानन्दाय

   ॐ गुं गुरुभ्यो नमः

 

अंतर मंथन उज्जवल भाती

सकरुण नेत्रे सम दिनराती

दृष्टि विधायक अक्षम अंधे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

कभू संन्यासे,कभू संसारे

अविचल मानस सुखदुःख भरे

विचित्र जीवन नव नव छंदे

प्रणामी श्रील श्री  विशुद्धानंदे|

 

कभू गुरु रूपे,कभू गुरुपासे

मधुमय मूर्तिसु मधुर भासे

पूरित मधुकर चित्त मकरंदे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

तव महिमामय विद्युत् स्पर्शे

चक्रे चक्रे शिहरण हर्षे

मुक्ति विधाता ग्रंथि बंधे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

 करुना  कण  तव  जाचे  नित्य

सहस्र संकट  सकुनल  चीत

शांति प्रदाता अंतर द्वन्दे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

अखंड योगी साधन सिद्ध

रुपंतारने  सतत समृद्ध

विभूति निर्भर नित निस्पंदे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

अभयंकर तव उधात पानी

उदात तव उद्बोधन वाणी

जाग्रत मर्मे स्पंदे स्पंदे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

तव अवलंबन भक्त प्रतीति

कंठे कंठे तव गुण गीति

शरणागत सब सेवक बन्दे

प्रणामी श्रील श्री विशुद्धानंदे|

 

Composed by M.M.Pandit Gopinath Kaviraj Ji


 

|| ॐ गुं गुरुवे नमः ||

 

भव सागर तारण कारण हे

रवि नंदन बंधन खंडन हे

शरणागत किंकर भीतमने

गुरुदेव दया कर दीनजने |

 

हृदिकिंदर तामस भास्कर हे 

तुमि विष्णू प्रजापति शंकर हे

परब्रम्ह परात्पर वेदभने

गुरुदेव दया कर दीन जने |

 

मन वारन शासन अंकुश हे 

नरत्राण तरे हरी चक्षु हे

गुणगान परायण देव गणे

गुरुदेव दया कर दीन जने |

 

कुल कुंडलिनी धूमभंजक हे

हृदिग्रंथी विदारण कारण हे

मम मानस चंचलरात्र दीने

गुरुदेव दया कर दीन जने |

 

रिपूसुदन मंगल नायक हे 

सुख शांति वर अभय दायक हे

त्रयताप हरे तव नाम गुने

गुरुदेव दया कर दीन जने |

 

अभिमान प्रभाव विमर्दक हे

गतिहीन जने तुम रक्षक हे

चित शंकित वंचित भक्ति धने

गुरुदेव दया कर दीन जने |

तव नाम सदाशुभ साधक हे

पतितधाम मानव पावक हे

महिमा तव गोचरशुद्ध मने

गुरुदेव दया कर दीन जने |

 जय सद्गुरु ईश्वरप्रापक हे

भवरोग विकार विनाशक हे

मन येन रहे तव श्री चरणे

गुरुदेव दया कर दीनजने |